Saam Daam Dand Bhed meaning:- क्या आपने साम दाम दंड भेद का नाम सुना है? यदि हाँ तो क्या आपको साम दाम दंड भेद का मीनिंग पता है?
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अधिकतर लोगों को साम दाम दंड भेद का हिन्दी में मीनिंग पता नहीं है |
यदि आप साम दाम दंड भेद के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो आज मैं आपको साम दाम दंड भेद मीनिंग व अर्थ बताने जा रहा हूँ |
साम दाम दंड भेद मीनिंग हिन्दी में (Saam Daam Dand Bhed in Hindi)
किसी व्यक्ति को सम्मान देकर, लोभी को धन देकर, दुष्ट को दंड देकर व विद्वान को तर्क देकर अपने पक्ष में किया जा सकता है ।
यह चाणक्य नीति राजनीति की एक बड़ी पुरानी नीति है जिसमे ‘साम’ अर्थात् ‘समता’ से या ‘सम्मान देकर’, ‘समझाकर’; ‘दाम’ अर्थात् ‘मूल्य देकर’ या आज की भाषा में ‘खरीदकर’; ‘दंड’ अर्थात् ‘सजा देकर’ और ‘भेद’ से तात्पर्य ‘तोड़ना’ या ‘फूट डालना’ होता है |

इसका बोलचाल की भाषा में यह मतलब निकाला जाता है कि किसी से अपनी बातें मनवाने के इन्हीं चार तरीको का सहारा लिया जा सकता है | इनमें से किसी न किसी एक तरीके के माध्यम का प्रयोग करके किसी भी व्यक्ति को चाहे जो करवा सकते है अर्थात आप उस व्यक्ति से कोई भी काम करवा सकते है |
अपनी बातें मनवाने का सही तरीका:– पहले प्रयास करो. मान जाए अच्छा है, आपकी भी लाज रहे, मानने वाले की भी, पर फिर भी न माने तो उसे मानने का मूल्य दो, मतलब जो भी उसकी अड़चन हो, उसके अनुसार मूल्य देकर उसेमनाने की कोशिश करो | यदि तब भी बात न बने तो उसे इस मूर्खता के लिए दंडित करो, शायद वो मान जाए| लेकिन फिर भी बात न बने तो आखिरी रास्ता, ‘राजनीति का ब्रह्मास्त्र’ ‘भेद’ का प्रयोग करो, उनमें आपसी वैमनस्य पैदा करो, फूट डालो, वे जरूर मानेंगे. चाणक्य की यह नीति राजनीति शास्त्र की कुछ मूल नीतियों में है |
साम दाम दंड भेद में साम का मतलब क्या होता है? (Sham meaning)
साम का शाब्दिक अर्थ सम्मान होता है | साम दाम दंड भेद में इसका मतलब किसी व्यक्ति का सम्मान करके उसे अपना कार्य करवाया जा सकता है क्योंकि व्यक्ति सम्मान पाकर अपने आप को बड़ा व्यक्ति समझने लग जाता है |
यह दो प्रकार का होता है:-तथ्य और अतथ्य | उनमें भी अतथ्य ( झूठी प्रशंसा ) साधु पुरुषों की अप्रसन्नता का ही कारण बन जाती है। इसलिए सज्जन व्यक्ति को प्रयत्नपूर्वक सच्ची प्रशंसा से वश में करना चाहिए। जो कुलीन, सरलप्रकृति, धर्मपरायण और जितेन्द्रिय हैं वे सच्ची प्रशंसा से ही प्रसन्न होते हैं, अतः उनके प्रति झूठी प्रशंसा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
उनके प्रति तथ्य साम (सच्ची प्रशंसा) का प्रयोग, उनके कुल और शील स्वभाव का वर्णन, किये गए उपकारों की चर्चा तथा अपनी कृतज्ञता की बात कहनी चाहिए।
इस प्रकार के साम से अपने धर्म में तत्पर रहने वालों को वश में करना चाहिए। दुर्जन मनुष्यों के लिए इस प्रकार की साम नीति उपकारी नहीं होता। दुष्ट मनुष्य साम की बातें करने वाले को बहुत डरा हुआ समझते हैं, इसलिए उनके प्रति इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
साम दाम दंड भेद में दाम का मतलब क्या होता है? (Daam meaning)
दाम का शाब्दिक अर्थ धन, दौलत से लिया जाता है | Sham Daam Dand bhed meaning में इसका मतलब किसी व्यक्ति का धन ,सम्मान का लालच देकर अपना कोई भी काम करवाया जा सकता है क्योंकि व्यक्ति धन या दौलत के लालच में आकार कोई भी कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है | यह मनुष्य की मानव प्रवृति होती है जिसके कारण मात्र धन के लालच मे वह गलत काम करने के लिए भी मान लेता है |
जब सम्मान नीति का प्रयोग विफल हो जाता है तो उनके आगे इसी नीति का प्रयोग किया जाना उचित माना जाता है तथा इसी के प्रयोग किया जाता आया है |
साम दाम दंड भेद में दण्ड का मतलब क्या होता है? (dand meaning)
दण्ड का शाब्दिक अर्थ यातना, दुख देने से लिया जाता है | Saam Daam Dand bhed meaning in hindi में इसका मतलब किसी व्यक्ति का शारीरिक यातनाएँ देकर या दुख देकर अपना कोई भी काम करवाया जा सकता है क्योंकि शारीरिक यातनाएँ देकर या व्यक्ति मजबूरन कोई भी कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है |
मरता क्या नहीं करता, इसलिए दण्ड देकर भी किसी भी व्यक्ति से किसी भी तरह का काम करवाया जा सकता है | इसका प्रयोग सामान्यतया साम व दाम नीति फेल होने की स्थिति में किया जाता है |
साम दाम दंड भेद में भेद का मतलब क्या होता है? (Bhed meaning)
भेद का शाब्दिक अर्थ राज या खुलासा के रूप में लिया जाता है | Sham Daam Dand bhed में इसका मतलब किसी व्यक्ति का कोई राज जानकर, उसी राज का दुनिया मे बीच खुलासा कर देने की धमकी देकर अपना कोई भी काम करवाया जा सकता है क्योंकि व्यक्ति अपने राज को सारी दुनिया के सामने प्रकट होने से डरता है इसलिए वह डरते-डरते कोई भी कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है |
कोई भी मनुष्य अपना राज दुनिया के सामने लाने से डरता है, वह यह जानता है कि इस राज अथवा भेद की वजह से उनसे वजूद पर कितना बुरा प्रभाव पड़ने वाला है | इसलिए व्यक्ति मजबूरन किसी और के वश मे आकार कोई भी कार्य कर लेने के लिए राजी होना सही मानता है |
भेद का प्रयोग समान्यतया साम, दाम व दण्ड की नीति फेल होने की स्थिति में किया जाता है | यह अंतिम नीति होती है जिसमे व्यक्ति आखिरकार मजबूर हो ही जाता है |
साम दाम दंड भेद का प्रयोग कैसे किया जाता है?
Saam Daam Dand bhed का प्रयोग करने का एक उचित तरीका होता है जिसमे व्यक्ति हो सबसे पहले साम का प्रयोग करते हुए मनाना चाहिए, तद्पश्चात लगातार दाम, दण्ड एवं भेद का प्रयोग किया जाना होता है | चारों नीतियों मे से किसी न किसी एक नीति पर व्यक्ति किसी और व्यक्ति के वश मे हो सकता है तथा कोई भी कार्य करने के लिए अपने आप को तैयार हो जाता है |