हम सब जानते है कि सावन का महिना आ चुका है | लोग सावन शायरी 2022 इंटरनेट पर ढूंढ रहे है | यदि आप भी सावन की शायरी पढ़ना चाहते है तो मैंने इस पोस्ट में 2022 की सावन शायरी हिन्दी में (Sawan Shayari in Hindi) लिखी है |
यहाँ पर जितनी भी सावन पर शायरी लिखी गयी है वह सभी मस्त व शानदार है | इसके साथ ही सावन सोमवार शायरी भी यहाँ पर लिखी गयी है |

सावन शायरी 2022
सावन लौटे अगली दफा तो काश तू भी लौट आए, तू भी मेरी तरह मेरे लिए सब कुछ छोड़ आए।
वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना, कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है |
फूल से दोस्ती करोगे तो महक जाओगे, सावन से दोस्ती करोगे तो भीग जाओगे |
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई, मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई |
चांदनी भी बोल उठी हाय ये कैसी माया हैं, मौसम की गोद देखों फिर से सावन आया है |
मौसम का अंदाज़ भाया है, नए संवेरे साथ लाया है, दरवाज़ा खोल के देखो, भीगा हुआ सावन आया है |
सावन समाया हुआ है आँखों में मेरी, कुछ ज्यादा ही अँधेरा है आज कल रातों में मेरी।
सावन कई आए तेरे जाने के बाद भी, मगर उस रात सी रात फिर कभी नहीं आई।
वो भला क्यूँ कदर करते हमारे अश्को की, सुना है सावन उनके शहर पर कुछ ज्यादा मेहरबान रहता है |
जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं, तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं |
क़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहें, खिजाँ की बात न पूछो सावन ने भी तड़पाया मुझे |
वो तेरा शरमा के मुझसे यूँ लिपट जाना, कसम से हर महीने में सावन सा अहसास देता है |
ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरस, जब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरस |
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सावन शायरी हिन्दी में (Sawan Shayari in Hindi)
सावन अबकी बार भले लाख बरसे, पर उतने नहीं बरस सके जितनी ये आँख बरसे।
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे, इक घटा के लिए हम तरसते रहे |
रुकी रुकी सी है बरसात ख़ुश्क है सावन, ये और बात कि मौसम यही नुमू का है |
सावन की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर, आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में |
जितना हँसा था उससे ज़्यादा उदास हूँ, आँखों को इन्तज़ार ने सावन बना दिया |
मौसम है सावन का और याद तुम्हारी आती है, बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है, बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है |
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ, जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से |
उसके दिल में सूखा पड़ा है, और मेरी आँखों में सावन आया है |
सावन तो लौटा मगर साजन नहीं लौटा, उसे आज भी यक़ीन नहीं मुझ पर मुझे यक़ीन नहीं होता।
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कसिस है, ना साहते हुए भी कोई सदा ही याद आते है |
इस सावन में हम भीग जायेंगे, दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे, अगर दिल करे मिलने को तो याद करना, बरसात बनकर हम बरस जायेंगे |
सावन का हो गया है आगाज़, आने लगी बूंदों की आवाज़, चाय-पकोड़ो की प्लेट सजाओ, और हमें अपना मेहमान बनाओ |
मोहब्बत बरसा देना तू सावन आया है, तेरे और मेरे मिलने का मौसम आया है |
मुझे मालूम है तूमनें बहुत बरसातें देखी है, मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है |
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सावन का पहला सोमवार शायरी
सावन की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर, आज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में |
वो मेरे रु-बा-रु आया भी तो बरसात के मौसम में, मेरे आँसू बह रहे थे और वो बरसात समझ बैठा।
लाख बरसे झूम के सावन मगर वो बात कहाँ, जो ठंडक पङती है दिल में तेरे मुस्कुराने से |
मौसम की कोई साजिश है या नभ की कोई माया है, वर्षों बाद फिर से सुहाना सावन आया है |
सावन का मज़ा लेना है, तो घर से बहार आना होगा, कपड़ो की फिक्र किये बिना, फिर मस्ती से भीग जाना होगा |
बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तसवीर, आज फिर भीग बैठे उससे पाने की चाहत मे |
अंतिम दो शब्द
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